Thursday, February 2, 2012

अग्निपथ चलचित्र के सन्दर्भ में मेरे व्यक्तिगत अनुभव एवं समालोचना:


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चाहे लगे हो चित्र,
हो घने; हो विचित्र,
एक टिकेट मात्र भी
तू मांग मत, मांग मत, मांग मत
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ..

तू न सुनेगा कभी,
तू न देखेगा कभी,
... तू न कहेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ..

ये बेकार फिल्म है,
हम सभी को इल्म है,
आरम्भ से अंत तक,
बक-बक, बक-बक, बक-बक
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ..
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जनहित में जरी..
--
भवदीय
आशीष

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