"आहत ह्रदय"दीन-दुनिया से मूर्छित रहा मैंनिष्कपट सा ऊर्जित रहा मैंव्यर्थ होगा जानकर भीख़ुद को समर्पित कर गया मैंफ़िक्र सबकी और बेफ़िक्र रहा मैंक्रन्दन में जब अनसुना रहा मैंबेबात है यह जानकर भीरोते-रोते हँस गया मैंअदृष्ट अप्रिय अवांछित सहा मैंपर सदैव आशान्वित रहा मैंभंगुर है सब जानकर भीस्वप्न सुनहरे बुन गया मैंनिर्णयों में अनिर्णित रहा मैंअपनों में ही दिग्भ्रमित जिया मैंअग्राह्य हूँ यह जानकर भीख़ुद को प्रकट कर गया मैंसाथ सभी के चलता रहा मैंअपनी राह अकेला बढ़ा मैंमृग मरीचिका है जानकर भीप्यास अपनी पीता गया मैंएक पथिक सा बनता गया मैंअकथित सा सुनता गया मैंधार है यह जानकर भीआहत ह्रदय से बढ़ता गया मैंआहत ह्रदय से बढ़ता गया मैं.."आशीष मौर्य"
Is Anjuman Me Aapko Aana Hai Baar-Baar Deewar-o-Dar Ko Gaur Se Pachaan Lijiye...
Saturday, November 1, 2014
"आहत ह्रदय"
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